Wednesday, December 10, 2008

एक बार और झंड कर दो यार !!

अब भी विश्वास नहीं हो रहा है कि ५ राज्यों मे चुनाव हुए और उनके ये नतीजे सामने आये हैं. पिछले साल भी उत्तर प्रदेश के नतीजो ने ऐसे ही चौंका दिया था जब मायावती ने मुलायम कि पुंगी बजा दी थी. उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव से ठीक पहले स्थानीय निकाय के चुनाव हुए थे और उसमें मुलायम सिंह की पार्टी को अच्छा प्रतिसाद मिला था. लेकिन कुछ ही महिनों के बाद जब विधान सभा चुनाव के नतीजे आये तो मुलायम सिंह की धोती हवा में उङ गयी. साथ ही साथ बीजेपी और कांग्रेस भी साफ हो गये. स्थानीय निकाय और विधान सभा दोनों ही में लोकल मुद्दे हावी रहते हैं इसलिये किसी को उम्मीद न थी कि नतीजे स्थानीय निकाय से ज्यादा अलग आयेंगे लेकिन जनता ने चौंकाने वाला फैसला सुनाया.
ऐसा ही कुछ इस बार हुआ है, एक के बाद आतंकवादी हमलों के बाद उम्मीद थी कि जनता कांग्रेस के पिछवाङे ऐसी लात मारेगी की आदरणीय सोनिया जी औंधे मुंह पङी दिखायी देंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, दिल्ली की पढी लिखी जनता ने भी कांग्रेस को खारिज नहीं किया. अपनी जीत पे कांग्रेस मे भी बहुत सारे नालायकों को शायद "अबे अल्ला मेहरबान तो गधा दोबारा पहलवान" टाइप की फीलिंग हुई होगी.

बहुत ज्यादा नहीं तो फिर थोङे बहुत चौंकाने वाले नतीजे एमपी और छत्तीसगढ से भी आये, सत्ता के खिलाफ लोग वोट दें ऐसा बहुत लोगों को उम्मीद रही होगी लेकिन फिर से पुरानी सरकारों को चुन लिया लोगो नें. हां राजस्थान में जरुर लोगों की उम्मीद से मिलता हुआ नतीजा दिखा, महारानी से सचमुच लोग त्रस्त थे और जैसा मेरे राजस्थानी मित्रों से मैने सुना व्हिस्की के साथ सत्ता का नशा भी महारनी के खोपङे मे चढ गया था, सो जनता ने झंड कर दिया महारानी को. मिजोरम में मिजोरम नैशनल फ्रंट को नंगा कर दिया जनता ने. कांग्रेस बहुत खुश है इस अप्र्त्याशित जीत से.

अब सवाल ये है कि इन सेमीफाइनल नतीजों को आने वाले लोक सभा चुनावो का संकेत सचमुच माना जाये या नहीं ? अगर ये सेमीफाइनल था तो भईया कांग्रेसी खटमल तो बहुत खुश होंगे कि जनता अपने ही पिछवाङे का खून चूसने का लाईसेंस ५ साल के लिये फिर थमाने वाली है और बीजेपी का क्या ?? पता नहीं भाई, बहुत मायुस होंगे बेचारे. पीएम इन वेटिंग कहीं चूक न जायें, दोबारा अगले चुनाव तक इंतजार करने की इजाजत उम्र नहीं देगी.

तो क्या करेगे आडवाणी जी? मैं तो कहता हूं कि बस अपना पीएम इन वेटिंग का बिल्ला उतार के जेब में धर लो, कही न बन पाये पीएम तो खामखां लोग ताने मारेंगे और बुढापे में बवासीर की सी तकलीफ उनकी बाते सुन के ही महसूस करेंगे आप. आप बस इमानदारी से लगे रहो तैयारी में और भरोसा रखो जनता पे. अगर जनता ने फिर से चौंकाने वाले पैटर्न पे वोटिंग की तो आपकी ही बत्त्त्तीसी ही सबसे ज्यादा खिलखिलाती नजर आयेगी.
भगवान करे कि ऐसा ही हो, ५ साल होने आये यार अब मन हो रहा है ऐसा पीएम देखने का जो पजामे में नाङा बांधने से पहले किसी एक्स पीएम की बेवा से ना इजाजत ले.
हे जनता जनार्दन एक बार और झंड कर दो यार !!!!

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