Monday, November 24, 2008

बोहनी तो हो गयी

कल जब चिठ्ठा लिखना शुरू किया था तो सोचा नही था कि पैहले दिन ही इतने लोग इतनी शुभकामनायें दे देंगे, सचमुच बडा अच्छा लगा. बोहनी तो झकास हुई है भाई लोग, अब देखें कि दुकान आगे चलती है या खोमचा उठा के आगे बढना पडेगा, अल्लाह न करे यार.

खुशी इस बात की और भी ज्यादा है कि न सिर्फ लोगों ने इसे पढा बल्कि अच्छे और नामचीन चिठ्ठाकार यहां अपने हस्ताक्षर छोड के गये हैं.

सबसे पैहले शुक्रिया राजीव भाई, आपकी मदद की जरूरत पडी तो जरुर तकलीफ दुंगा. वैसे राज ठाकरे ने मुझे पैहले ही काफी फ्र्स्ट्रेट किया हुआ है और उसी के बारे में अपने विचार मैं जब भी मौका मिलेगा यहां अवश्य रखूंगा.
संगीता जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद. आगे भी आती रहियेगा.
धन्यवाद परम्जीत जी, यूसुफ भाई, सतीश जी, रतन शेखावत जी. आप लोगो से आगे भी इस ब्लोग पर आने की अपेक्षा है.
नारद मुनि आपका आशीष रहे फ्रस्ट्रू पर ,आप जैसे चिठ्ठाकारी के पुराने चावल जब हम जैसे नौसिखयों को शुभकामनायें दें तो और क्या चाहिये. आदत के अनुसार यहां जो भी लिखा जाये उसको प्रचारित करते रहियेगा.
घुघूती बासूती, मैने पैहले पढा था आपका चिठ्ठा इसलिये बता नही सकता जो हर्ष हुआ आपके पदचिन्ह यहां देख कर .
पी डी, अभिषेक, और सागर भाई, थैंक्यू वेरी मच फोर योर वैल विशेज.
और सबसे बाद में रचना जी, बहुत अच्छा लगा आपका सन्देश देख के. आपका परिचय पढ के बहुत हर्ष हुआ. कृप्या आती रहिये, अगर कुछ इस लायक लिख पाऊं जो आप पढने लायक समझें तो आपकी आलोचना सुनने की आशा करता हूं.

आप सबके उत्साहवर्ध्न के अलावा कविता वाचक्नवी जी ने अपने ब्लॉग में मेरे परिचय के बारे मे भी बात की, पढ के बडा सन्तोष हुआ कि चलो चिठ्ठा जगत में इस नाचीज के कार्यक्र्म को लोग स्व्तः ही प्रायोजित करने लायक समझ रहे हैं. अन्धे को क्या चाहिये? आधी पौनी ऑख, और हमारे जैसे फ्र्स्ट्रेटिड चिठ्ठाकार को चाहिये ज्यादा से ज्यादा वाचक.
कविता वाचक्नवी जी बहुत धन्यवाद, ईश्वर आपका स्पौन्डिलाइटिस किसी रिश्वतखोर पुलिस वाले को दे दे.

अगर ईश्वर की मर्जी ठीक रही तो यहां आप सबको जरुर फ्रस्ट्रू की जायज फ्रस्ट्रेशन का ताप मैहसूस होता रहेगा, आप सबसे सम्पर्क बना रहेगा.

फ्रस्ट्रू

1 Comments:

At November 24, 2008 at 10:52 PM , Blogger नीरज गोस्वामी said...

ब्लॉग जगत में आप का स्वागत है...खोमचा लगाये रखिये...ग्राहक पहले माल चखने आते हैं और पसंद आने पर लाइन लगाते हैं...चिंता मत करिए बस लिखते रहिये...
नीरज

 

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